गोविंदा हिन्दी सिनेमा में “सुपरस्टार” और “नंबर वन” के नाम से जाने जाते हैं, गोविंदा ने बॉलीवुड में कई सालों तक अपना दबदबा बनाए रखा। उनके अभिनय और डांस ने उन्हें एक खास पहचान दी। वे सिर्फ अपनी फिल्मों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने मजेदार और मनोरंजक अंदाज के लिए भी मशहूर थे। उनका ये अनोखा अंदाज दर्शकों के दिलों में हमेशा एक खास जगह बनाए रखता है. गोविंदा ने भारतीय सिनेमा में जो योगदान दिया है,
वह हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी फिल्मों ने सिनेमा में एक नई दिशा दी थी, और आज भी लोग उन्हें उनकी फिल्मों और अभिनय के लिए याद करते हैं। हालांकि अब उनका करियर उतना सक्रिय नहीं है, लेकिन उनकी फिल्में और उनकी खास शैली हमेशा सराही जाएगी।
उनका फिल्मी सफर यह दिखाता है कि एक अभिनेता को अपनी कड़ी मेहनत और अपार प्रतिभा से ही सफलता मिलती है, और गोविंदा ने अपनी बेहतरीन अभिनय क्षमता और मजेदार शैली से यह साबित भी किया है।

गोविंदा का असली नाम ?
गोविंदा का असली नाम गोविंद अरुण आचार्य था। उनका जन्म 21 दिसंबर 1963 को मुंबई में हुआ था। वे एक पंजाबी परिवार से थे, और उनका परिवार भारतीय सिनेमा से जुड़ा हुआ था। गोविंदा के चाचा, अरुण आचार्य, एक प्रसिद्ध अभिनेता थे, और इसी वजह से गोविंदा को फिल्मों में दिलचस्पी हुई। उनका बचपन और पढ़ाई मुंबई में ही हुई, और क्योंकि उनका परिवार सिनेमा से जुड़ा था, उन्हें अभिनय करने में कोई परेशानी नहीं हुई।
बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी ?
गोविंदा ने 1986 में बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी। उनकी पहली फिल्म थी ‘इल्जाम’ (1986), जिसमें उन्होंने एक छोटे से रोल में अभिनय किया था। हालांकि, इस फिल्म में उनका प्रदर्शन खास नहीं था, लेकिन फिर भी उनकी पहचान बननी शुरू हो गई। इसके बाद गोविंदा ने कई फिल्मों में छोटे-छोटे रोल किए, लेकिन उनकी असली पहचान 1990 के दशक में बनी।
1992 में फिल्म ‘शरारत’ और 1993 में ‘आंखें’ जैसी फिल्मों ने गोविंदा को एक अच्छे अभिनेता के रूप में पहचान दिलाई। लेकिन उनकी असली सफलता 1990 के दशक के बीच में शुरू हुई, जब वे अपने हंसी-खुशी और नृत्य के लिए बहुत लोकप्रिय हुए।

90 के दशक में गोविंदा की फिल्में लगातार
90 के दशक में गोविंदा की फिल्में लगातार हिट होने लगीं। फिल्मों जैसे ‘कुली नंबर 1’ (1995), ‘राजा बाबू’ (1994), ‘दुल्हे राजा’ (1998) और ‘पार्टनर’ (2007) ने उन्हें एक बड़ा स्टार बना दिया। इन फिल्मों में उनके अभिनय, हास्य और डांस ने दर्शकों को बहुत पसंद किया।
गोविंदा का एक खास अंदाज था। वह सिर्फ एक अच्छे अभिनेता ही नहीं, बल्कि उनके डांस करने का तरीका भी बहुत अलग था। उनकी फिल्में आमतौर पर हल्की-फुल्की और पारिवारिक होती थीं, जिनमें वह अपनी कॉमिक टाइमिंग से लोगों को हंसी में डुबो देते थे।
‘कुली नंबर 1’ और ‘राजा बाबू’ जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाएँ बहुत सफल रही। उनकी जोड़ी कई मशहूर अभिनेत्रियों के साथ हिट रही, जिनमें करिश्मा कपूर, रवीना टंडन और सुष्मिता सेन शामिल हैं।
गोविंदा की सबसे बड़ी पहचान उनके ?
गोविंदा की सबसे बड़ी पहचान उनके हास्य अभिनय से जुड़ी थी। वे सिर्फ नाच-गाने में ही नहीं, बल्कि अपनी हंसी मजाक वाले अभिनय से भी दर्शकों का दिल जीतते थे। फिल्म ‘दुल्हे राजा’ (1998) में उन्होंने अपने चतुर और शरारती किरदार से यह साबित किया कि वे सिर्फ रोमांटिक या एक्शन फिल्मों में ही नहीं, बल्कि हास्य फिल्मों में भी उतने ही प्रभावी हैं।

गोविंदा का करियर गिरावट का शिकार हुआ ?
2000 के दशक की शुरुआत में, गोविंदा का करियर थोड़ी सी गिरावट का शिकार हुआ। उनकी कुछ फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। फिर भी, गोविंदा के फैंस का प्यार और सम्मान उनके लिए हमेशा बरकरार रहा।
उनकी फिल्मों में कुछ बदलाव आया। पहले जहां वे मुख्य रूप से कॉमिक और रोमांटिक भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध थे, अब वे कुछ गंभीर किरदारों में भी दिखाई देने लगे। इसके बावजूद, 2000 के दशक के बाद गोविंदा का करियर पहले जैसा सफल नहीं रहा।
‘सलाम ए इश्क’ (2007) जैसी फिल्में आईं, लेकिन वह भी ज्यादा हिट नहीं हो पाई। इसके बाद, उनकी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन कमजोर हो गया।

राजनीति में कदम
गोविंदा ने 2004 में राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए। उन्होंने मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस दौरान गोविंदा ने अपने फिल्मी करियर को कुछ समय के लिए छोड़ते हुए समाज सेवा में भी हिस्सा लिया। हालांकि, उनका राजनीतिक करियर फिल्मों जितना सफल नहीं रहा, और 2009 में उन्होंने राजनीति से अलग होने का फैसला किया।
गोविंदा का वापसी
हालांकि 2000 के दशक के बाद गोविंदा का करियर कुछ कमजोर पड़ा, लेकिन 2010 के बाद उन्होंने कुछ फिल्मों में वापसी की। फिल्में जैसे ‘आशीर्वाद’ (2008), ‘पार्टनर’ (2007) ने उन्हें फिर से दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया। इसके बाद उन्होंने ‘फ्रेंड्स’, ‘सात लफ्जों में’ और ‘हुकुम’ जैसी कई फिल्में कीं।
गोविंदा की अभिनय क्षमता, हास्य शैली, और नृत्य के तरीके ने उन्हें हमेशा यादगार बनाया है। हालांकि उनका करियर अब पहले जैसा सक्रिय नहीं है, लेकिन उनके योगदान को कभी भी नकारा नहीं जा सकता।

गोविंदा ने भारतीय सिनेमा में जो योगदान दिया है
गोविंदा ने भारतीय सिनेमा में जो योगदान दिया है, वह हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी फिल्मों ने सिनेमा में एक नई दिशा दी थी, और आज भी लोग उन्हें उनकी फिल्मों और अभिनय के लिए याद करते हैं। हालांकि अब उनका करियर उतना सक्रिय नहीं है, लेकिन उनकी फिल्में और उनकी खास शैली हमेशा सराही जाएगी।
उनका फिल्मी सफर यह दिखाता है कि एक अभिनेता को अपनी कड़ी मेहनत और अपार प्रतिभा से ही सफलता मिलती है, और गोविंदा ने अपनी बेहतरीन अभिनय क्षमता और मजेदार शैली से यह साबित भी किया है।